ये कवितायेँ लहू से ज़्यादा और आंसुओं से कम लिखी गयी हैं| सीता से लेकर आज की निर्भया की पुकार है इनमे| प्रेम की पूहार और चेतना की रौशनी भी हैं| फूल भी हैं, बदल और धूप भी, प्रश्न भी हैं, और आसमान का वो टुकड़ा जहाँ प्रश्न और उत्तर दोनों विलीन हो जाते हैं| एक अद्भुत बात है की इस इ-बुक में दिये ऑडियो लिंक के द्वारा हरविंदर की अपनी आवाज़ में कुछ कवितायेँ सुन भी सकते हैं| यह एक सुंदर प्रस्तुति है| हरविंदर कौर की कवितायों के बारे में प्रख्यात कवि प्रसाद विमल जी लिखते हैं - "हरविन्दर कौर की कविताएँ एक संवेदनशील युवा मानस की क्रोधित किन्तु मर्मस्पर्शी अभिव्यक्तियाँ हैं।... हरविन्दर कौर ने अपनी अपरिमित अनावृत वृति में एक ऐसे संगीत की रचना की है जो विरल रागों की प्रतीति देती है।" प्रोफेसर और कवियत्री अनामिका उनके बारे में लिखती हैं, "हरविंदर की ये कविताएँ किसी ऊँची चट्टान का कलेजा चीरकर बहे आते एक अविकल जलप्रपात की महाप्राण ध्वनियों से रलमल हैं| मिथकों का जटाजूट सुलझाती, भीतर अटल तक बढ़ती चली आती यह प्राणधारा ज़्यादातर कवियों में क्षीण पड़ गयी है| जो कवि इसको बचा पाता है, मानकर चलना चाहिए कि प्रकृति और निसर्ग से, नक्षत्रों से और स्वयं अपने आत्मन से उसकी अंतरंग गपशप बरक़रार है!!" Buy from (India) - https://www.amazon.in/Main-woh-nahin-audio-Hindi-ebook/dp/B08Y7VWBN9 Buy from (outside India) - https://www.amazon.com/Main-woh-nahin-audio-Hindi-ebook/dp/B08Y7VWBN9